सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार ब्‍लागर डॉ.चंद्रकुमार जैन

एक अप्रैल को प्रकाशित छत्‍तीसगढ के एक समाचार पर बरबस निगाहें जम गई क्‍योंकि समाचार हमारे ब्‍लाग जगत के प्रिय, राष्ट्रपति-पदक एवं छत्तीसगढ़ राज्य शिखर सम्मान से विभूषित  डॉ.चंद्रकुमार जैन जी से संबंधित था । डॉ.जैन के ब्‍लाग का अवलोकन मैं उनके दूसरे पोस्‍ट से ही कर चुका था उसके बाद मेरे नेट पर सक्रिय रहने तक लगभग प्रत्‍येक दिन मैं उनके ब्‍लाग का अवलोकन करता था एवं अपेक्षा करता था कि उनकी टिप्‍पणी मुझे मिले, उनकी दो चार टिप्‍पणिया मुझे आर्शिवाद के रूप में प्राप्‍त भी हुई हैं फिर मैं अनियमित रहने लगा सो उनके ब्‍लाग का अवलोकन नियमित नहीं कर पाया । उनके संबंध में मुझे पहले-पहल संजीत त्रिपाठी जी नें यह जानकारी दी कि वे उनके पुराने पोस्‍टों पर भी टिप्‍पणियां कर रहे हैं और संजीत जी नें मुझसे उनका फोन नम्‍बर भी मांगा, किन्‍तु मैं इन मामलों में बिल्‍कुल मस्‍त मौला हूं ब्‍लागों के उदगम समय से निरंतर अवलोकन करने के बावजूद भी ब्‍लागर से तात्‍कालिक संबंध बना पाने में किंचित सुस्‍त । अत: मेरे पास उनका नम्‍बर नहीं था । बाद में संजीत जी को उनका नम्‍बर भी मिला और अजीत वडनेरकर सहित सभी ब्‍लाग मित्रों से संजीत जी की बातें भी होती रही है ।

छत्‍तीसगढ के साहि‍त्तिक बिरादरी में डॉ.जैन जी का नाम सम्‍मान से लिया जाता है, सो उनके संबंध में संक्षिप्‍त जानकारी मुझे थी । उनके ब्‍लाग की कविताओं एवं दमदार टिप्‍पणियों नें उनका पूर्ण परिचय करा दिया था। उनके संबंध में छपे समाचार को देखकर उत्‍सुकता हुई और मन हुआ कि इस खुशी को मित्रों के साथ बांटा जाए । समाचार ज्‍यों का त्‍यों प्रस्‍तुत है –

राजनांदगांव, 1 अप्रैल । कालेज के डॉ.चंद्रकुमार जैन को अंतरजाल के लोकप्रिय सर्च इंजन गूगल के नियमित पाठक समूह का सदस्‍य बनाया गया है । इसके साथ ही सतत् सार्थक लेखन करते हुए समसामयिक विमर्श में शसक्‍त और प्रभावशाली हस्‍तक्षेप के आधार पर उन्‍हें वर्ष 2008-09 का सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार घोषित किया गया है । गौरतलब है कि भोपाल, नई दिल्‍ली, मुम्‍बई, बैंगलूर, कोलकाता सहित विदेशों में रहने वाले कई भारतीय कवि लेखक तथा पत्रकारों नें डॉ.चुद्रकुमार जैन की मर्मस्‍पर्शी लेखनी, कथन शैली के अलावा उनकी संक्षिप्‍त सारगर्भित और व्‍यंजना गुण युक्‍त टिप्‍पणियों को मील का पत्‍थर करार दिया है । प्रिंट और इलैक्‍ट्रानिक मीडिया से ढाई दशक से राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जुडे अजित वडनेरकर नें इन तमाम खूबियों का जिक्र करते हुए डॉ. जैन का परिचय नेट पर जारी किया है । उधर प्रख्‍यात कवि-लेखक उदय प्रकाश नें भी डॉ.जैन को संदेश प्रेषित कर उनकी लीक से अलग क्षमता की सराहना की है ।
डॉ.चंद्रकुमार जैन जी को हमारी भी बहुत बहुत शुभकामनायें ।

पुछल्‍ला -

देश के प्राय: सभी समाचार पत्रों में अब ब्‍लागों के संबंध में नियमित स्‍तंभ प्रकाशित हो रहे हैं जिनमें से छत्‍तीसगढ में भी कुछ समाचार पत्र आते हैं किन्‍तु छत्‍तीसगढ से सक्रिय ब्‍लागों का जिक्र छत्‍तीसगढ के प्रिंट मीडिया वाले बहुत कम करते हैं या करना ही नहीं चाहते ।  यहां मैं आदरणीय अनिल पुसदकर जी से क्षमा सहित कहना चाहूंगा कि कुछ फीचर विभाग के तथाकथित पत्रकार  भले ही हिन्‍दी ब्‍लागों के समाग्रियों को कापी कर या फिर उसके विषय वस्‍तु का सहारा लेकर समाचार या कवर स्‍टोरी को रंग दे देंगें किन्‍तु एकाध समाचार पत्र को छोडकर अधिकतम समाचार पत्र वाले संदर्भो  की जानकारी ही नहीं देंते।  ऐसी परिस्थितियों में डॉ.जैन के इस समाचार को समाचार पत्र में पढ कर खुश होना लाजमी है ।

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छत्‍तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसे एक छोटे से गॉंव में जन्‍म, उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक की पढ़ाई गॉंव से सात किलोमीटर दूर सिमगा में, बेमेतरा से 1986 में वाणिज्‍य स्‍नातक एवं दुर्ग से 1988 में वाणिज्‍य स्‍नातकोत्‍तर. प्रबंधन में डिप्‍लोमा एवं विधि स्‍नातक, हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई स्‍टील सिटी में निजी क्षेत्रों में रोजगार करते हुए अनायास हुई. अब पेशे से विधिक सलाहकार हूँ. व्‍यक्तित्‍व से ठेठ छत्‍तीसगढि़या, देश-प्रदेश की वर्तमान व्‍यवस्‍था से लगभग असंतुष्‍ट, मंच और माईक से भकुवा जाने में माहिर.

गॉंव में नदी, खेत, बगीचा, गुड़ी और खलिहानों में धमाचौकड़ी के साथ ही खदर के कुरिया में, कंडिल की रौशनी में सारिका और हंस से मेरी मॉं नें साक्षात्‍कार कराया. तब से लेखन के क्षेत्र में जो साहित्‍य के रूप में प्रतिष्ठित है उन हर्फों को पढ़नें में रूचि है. पढ़ते पढ़ते कुछ लिखना भी हो जाता है, गूगल बाबा की किरपा से 2007 से तथाकथित रूप से ब्‍लॉगर हैं जिसे साधने का प्रयास है यह ...