शकुन्तला शर्मा बैंकाक में सम्मानित

14 प्रतिष्ठित पुस्तकों की चर्चित लेखिका शकुन्तला शर्मा जी के संबंध में मुझे जानकारी 'कोसला' के विमोचन के समाचारों से हुई थी. तब से मैं उनसे और उनकी कृतियों से साक्षात्कार चाहता था. गुरतुर गोठआरंभ के इस मुहिम के लिए मुझे छत्तीसगढ़ के प्रत्येक उजले पक्षों पर नजर रखनी थी और उन्हें ​किसी भी रूप में इंटरनेट में लाने का प्रयास निरंतर रखना था. इसी कड़ी में उनसे एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई. उनके स्नेहमयी व्यक्तित्व और रचनाधर्मिता से रूबरू हुआ. प्रसिद्ध भाषाविद और साहित्यकार डॉ.विनय कुमार पाठक नें उनके संबंध में लिखा है '.. शकुन्तला शर्मा संस्कृत, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा तथा साहित्य में समानाधिकार रखने वाली विदुषी कवयित्री हैं ..' यह बात उनकी कृतियों को पढ़ते हुए स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है.

साहित्य के नवचार के प्रति सजग एवं इंटरनेट प्रयोक्ता शकुन्तला शर्मा जी नें मेरे आग्रह पर अपना ब्लॉग (शाकुन्तलम्) बनाया. साहित्यकारों के सोच के अनुसार इंटरनेट तकनीकि के असामान्य आभासी गढ़ों को ध्वस्त करते हुए वे हिन्दी ब्लॉगिंग पर अब भी सक्रिय हैं. उनकी कृतियों एवं ब्लॉग पर आगे फिर कभी चर्चा करेंगें. अभी अवसर है उन्हें शुभकामनायें देने का, ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री सम्मेलन बैंकाक में भारत के राजदूत श्री अनिल वाधवा के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ. विभिन्न‍ देशों से आमंत्रित अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्रियों के उक्त‍ सम्मेलन ‍में भिलाई की शकुन्तला शर्मा को "THE BLESSED JUNO" सम्मान से अलंकृत किया गया. निरंतर साहित्य सृजन में रत शकुन दीदी को बहुत बहुत बधाई.
शकुन्तला शर्मा जी का ब्लॉग है — शाकुन्तलम् http://shaakuntalam.blogspot.in

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छत्‍तीसगढ़ में शिवनाथ नदी के किनारे बसे एक छोटे से गॉंव में जन्‍म, उच्‍चतर माध्‍यमिक स्‍तर तक की पढ़ाई गॉंव से सात किलोमीटर दूर सिमगा में, बेमेतरा से 1986 में वाणिज्‍य स्‍नातक एवं दुर्ग से 1988 में वाणिज्‍य स्‍नातकोत्‍तर. प्रबंधन में डिप्‍लोमा एवं विधि स्‍नातक, हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर की पढ़ाई स्‍टील सिटी में निजी क्षेत्रों में रोजगार करते हुए अनायास हुई. अब पेशे से विधिक सलाहकार हूँ. व्‍यक्तित्‍व से ठेठ छत्‍तीसगढि़या, देश-प्रदेश की वर्तमान व्‍यवस्‍था से लगभग असंतुष्‍ट, मंच और माईक से भकुवा जाने में माहिर.

गॉंव में नदी, खेत, बगीचा, गुड़ी और खलिहानों में धमाचौकड़ी के साथ ही खदर के कुरिया में, कंडिल की रौशनी में सारिका और हंस से मेरी मॉं नें साक्षात्‍कार कराया. तब से लेखन के क्षेत्र में जो साहित्‍य के रूप में प्रतिष्ठित है उन हर्फों को पढ़नें में रूचि है. पढ़ते पढ़ते कुछ लिखना भी हो जाता है, गूगल बाबा की किरपा से 2007 से तथाकथित रूप से ब्‍लॉगर हैं जिसे साधने का प्रयास है यह ...